बिहार का संक्षिप्त इतिहास

लोकतंत्र और मानवाधिकार के इतिहास में बिहार एक विशेष स्थान रखता है। इसका योगदान प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक लोकतांत्रिक परंपराओं और व्यवस्थाओं को आकार देने में रहा है। बिहार के लोकतंत्र से जुड़े कुछ ऐतिहासिक पहलु :


 लोकतान्त्रिक  व्यवस्था

           बिहार में अवस्थित वैशाली -दुनिया का पहला गणराज्य

    • वर्तमान बिहार में स्थित वैशाली को विश्व का पहला गणराज्य माना जाता है। यह वज्जि संघ (छठी शताब्दी ईसा पूर्व) की राजधानी थी, जहां लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का पालन किया जाता था।

    • वज्जि संघ में गण सभा नामक परिषद द्वारा सामूहिक निर्णय लिए जाते थे। यह विश्व के सबसे प्रारंभिक गणराज्य प्रयोगों में से एक था।

    • वैशाली जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर की जन्मभूमि और बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी था।मौर्य साम्राज्य

    • मौर्य साम्राज्य (321–185 ईसा पूर्व), जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी, बिहार के मगध क्षेत्र की राजनीतिक परंपराओं पर आधारित था।
    • बौद्ध संघों में लोकतंत्र –बिहार में पनपे बौद्ध संघों में समानता आधारित निर्णय लेने की परंपरा थी। इन संघों ने सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया और शासन के लोकतांत्रिक मॉडल को प्रभावित किया।

 


अंग्रेजी हुकूमत और आधुनिक लोकतंत्र

           स्वतंत्रता संग्राम में  बिहार की भूमिका

    • स्वतंत्रता संग्राम में बिहार ने लोकतांत्रिक आदर्शों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    • डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति), जयप्रकाश नारायण (समाजवादी आंदोलन के नेता) जैसे प्रमुख नेता बिहार से ही थे।

    • 1917 में बिहार में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया चंपारण सत्याग्रह किसानों के अधिकारों और न्याय के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।स्वतंत्रता के बाद नेतृत्व

    • बिहार के डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति (1950–1962) के रूप में भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।जयप्रकाश नारायण और संपूर्ण क्रांति

    • 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने भ्रष्टाचार और निरंकुशता के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया।

    • जेपी ने सहभागी लोकतंत्र और विकेंद्रीकरण की वकालत की, जिसका प्रभाव भारतीय राजनीति पर गहरा पड़ा।स्थानीय स्वशासन

    • बिहार में पंचायती राज संस्थाओं को सक्रिय रूप से लागू किया गया है, जो ग्रामीण इलाकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


विरासत

वैशाली के गणराज्य से लेकर आधुनिक लोकतांत्रिक आंदोलनों तक, बिहार के ऐतिहासिक योगदान लोकतंत्र की विकास यात्रा में इसके महत्व को दर्शाते हैं। यह प्राचीन परंपराओं, उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष और समकालीन राजनीतिक नवाचारों के माध्यम से लोकतंत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रतीक है।